चमकता दिन राज सो रहा है । वह एक कंपनी में कर्मचारी है । उसके ऑफिस पहुँचने का समय 10 बजे का है मगर वह अब भी घोड़े बेच के सो रहा है । राज का बेटा अपनी खिलौना गाड़ी लेकर राज की सर पर दौड़ता हुआ कह रहा है उठो पापा उठो 9 बज गए है ।
यह सुनकर राज फौरन उठ पड़ता है क्योंकि उसको ऑफिस पहुँचने में 1 घंटे का वक़्त लगता है। अब वह जल्दी जल्दी बाथरूम की ओर भागता है मगर नंगे पांव गीली फर्श में दौड़ता राज ज़ोरो से गिरता है और उसका बेटा ज़ोर ज़ोर से हँसता है पापा गिर गए पापा गिर गए राज उसको जाकर पढ़ने के कि लिए बोलता है। राज अब जल्दी जल्दी सारे काम करके किचन की ओर जाता है । आने खाने के डिब्बे को बैग में रखने जा है रहा होता है कि गरम गरम खाने से उसके हाथ से डिब्बा गिर जाता है उसको पत्नी उसको घूरती हुई डिब्बा उठती है और नया डिब्बा तैयार करके फौरन देती है । देरी के वजह से राज भी बना बोले डिब्बा लेकर भगता है मानो आज तो वह बहुत देरी से पहुँचेगा ।
सबसे बड़ी और सब्र का इम्तेहान लेने वाली घड़ी अब आ चुकी थी – बस स्टॉप में बस का समय से मिलना और उसमें खाली जगह का होना । राज बस स्टॉप पर पहुँचता है अब वह शर्ट की खुली बटन और टाई को ठीक करता है । बस स्टॉप पर लोगो की भीड़ सी लगी मानो कोई छोटा मोटा मेला हो ,बस तो काफी आ रही थी मगर भीड़ इतनी थी बस में की मानो ऐसा लग रहा कि कही बस सवारियों के ज्यादा होने से फट न जाये ,राज के चेहरे में पसीना अब बढ़ रहा था । घड़ी की सुईया अब तेज़ी से भागती लग रही थी साथ ही राज की धड़कनें भी बढ़ रह थी कि आज ऑफिस का पहला दिन है आज वह बिल्कुल देरी से नही जा सकता । अब उसका सब्र जवाब दे रहा था।
उसके अब किसी और तरकीब से ऑफिस पहुँचने की सोची अब वह रोड पर चलती दो पहिया वाहन को हाथ देने लगा मगर तभी भी कोई रुक नही रहा था बड़ी मुश्किल से एक आदमी ने अपनी गाड़ी रोकी काली चमकती गाड़ी और उस आदमी के मूहँ में ढेर सारा पान जो उसके बोलने पर टुकड़ो में गिर रहा था ।
“पूछता भैया कहा जाना है ” बड़े बेचैन लगते हो कोई परीक्षा देने जा रहे हो ? राज के जवाब दिया - नहीं दादा जी आप बस हमे थोड़ी दूर तक छोड़ दीजिए अगले स्टॉप में हम उतर जाएंगे । दादा बोले ठीक है बैठो गाड़ी में ।
राज अब गाड़ी में बैठा उसको सुकून आया कि चलो अब पांच मिनट से ज्यादा देरी नही होगी। लेकिन जैसे है हवा से राज का पसीना सूखने है लगा था गाड़ी रफ्तार पकड़ रही थी । दादा भी पान के आनंद में थे गाने गाते हुए गाड़ी को भाग रहे थे । अचानक रास्ते में किसी जानवर के गोबर से गाड़ी का पहिया जा मिला और अब दादा और राज बीच सड़क में एक दूसरे के बगल में थे गाड़ी उनसे 100 मीटर की दूरी पर थी। राज को कुछ समझ नही आया क्या हुआ दादा भी पान को अपने कपड़ों में गिरा चुके थे ।राज की शर्ट के बटन टूट चुके थे और पैंट भी घुटने से फट चुकी थी।
राज को अब आज के दिन पर थोड़ा गुस्सा आ रहा था और थोड़ा दादा पर भी दादा को भी मामूली चोट है आयी थी। राज ने दादा को फिर उनकी गाड़ी को उठाया और फिर दोनों पास के अस्पताल में गए वहां राज दादा को घूर रहा था दादा ने तबतक नज़रे नीचे करके एक और पान निकाला और खा लिया । राज मन ही मन अब सोच रहा था काश इस गाड़ी में न बैठा होता ऑफिस देर से ही सही मगर अभी दादा की लापरवाही की वजह से जान से हाथ धोना पड़ सकता था ।
दोनो ने महरम पट्टी कराई पैसा भी राज ने दिया क्योंकि दादा घर से पैसा लेकर नही निकले थे और वह भी अपने ऑफिस जा रहे थे। राज ने अपना बैग उठाया जिसमे सारा खाना बाहर गिर गया था और दाल बाहर टपक रही थी । राज को अब अपनी हालात पर तरस आ रहा था । दोनो अस्पताल से बाहर निकले ।
दादा के पूछा – राज जी बैठाये मेरी गलती से सब हुआ है मैं आपको आपकी मंज़िल तक छोड़ देता हूं , मेरा भी एक ऑफिस में इंटरव्यू है मगर मैं महीने में नौकरी बदलता रहता हूँ इसीलिए इतना तनाव नही रहता । हर जगह पान खाकर थूकने की और थोड़ी लापरवाही की वजह से कही टिक नही पाता और आज हो मैंने इसका नमूना रास्ते मे है दे दिया।
राज ने अब गाड़ी पर बैठने से इंकार कर दिया,कुछ देर चलकर वह दूसरे स्टॉप पर पहुँचा और इस बार उसे एक बस में जगह मिल ही गयी अब 10 बज चुके थे राज जैसे तैसे ऑफिस की तरफ बढ़ रहा था ।
राज अब ऑफिस के गेट पर था मगर वह अंदर जाने में झिझक रहा था , गेट पर खड़ा चौकीदार भी राज की हालत देखकर संका में था कि इसको अंदर जाने भी दे या नहीं ,उसने पूछ है लिया कौन हो तुम ?
तब राज ने उत्तर दिया मैं यही काम करता हूँ आज मेरा पहला दिन है ,चौकीदार भी व्यंग करते हुए बोला “ अच्छी ड्रेस है पहले दिन की “,राज बिना कोई जवाब दिए अंदर गुसा ।
बाहर लगे नल में उसने अपने बैग को धोया और बैग से फटी शर्ट को छुपाता हुआ धीरे धीरे लंगड़ाता हुआ अपनी सीट पर जा बैठा और चैन की सांस ली । सुबह से लेकर अभी तक जो हुआ वह उसको सोच रहा था और पंखे की हवा से थोड़ा शांत होने की कोशिश कर रहा था कि उसका मैनेजर उसकी तरफ आकर बोला 10.30 बज रहे है राज साहब और आज आपका पहला दिन है ,राज ने सुबह से लेकर जो हुआ सारी कहानी बताई और उसके पैर में लगी पट्टी देख कर मैनेजर ने ज्यादा कुछ नही बोला और अगली बार से देरी न हो कहकर जाने दिया और साथ ही कहा जाकर हाथ मूहँ धो कर आओ आज में बहुत व्यस्त हूँ मेरे ऊपर काम का बहुत दबाव है इसीलिए आज एक आदमी इंटरव्यू के लिए आ रहा है अगर वह पास होता है तो वह तुम्हरे नीचे काम करेगा ।तो तुम्हे सिर्फ उसका इंटरव्यू लेना है जैसे मैंने तुम्हारा लिया था । राज राज़ी हो जाता है और अपना हुलिया ठीक करता है ।
अब वह इंटरव्यू वाले कमरे की ओर बढ़ता है एक आदमी अधेड़ उम्र का कुर्सी पर बैठा मूहँ में पान और गाने की गुनगुनाहट -दादा जी
दोनो एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा देते है ।
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